krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Tuesday, March 26, 2013

मोहे अपने ही रंग में रंग दे ...ओ सांवरे ......
ना भाये मोहे लाल- पीला , जो चढ़ा है मुझ पे ... नीला ....,
ना भाये मोहे हरा - नारंगी , जो सजी है मुझ पे ....कलंगी ...
ना भाये मोहे गुलाबी - बसंती , जो मेरे है हृदय से लगी .... बैजन्ती ...
ना भाये मोहे अब कुछ इधर - उधर , जो सजी है मुरली मेरे ....अधर.... 
ना भाये मोहे कोई भी सतरंगा ....जो मेरा है मन तुझ में रँगा ......
" होली की शुभकामनाओं के साथ "
.......प्रार्थना .....

Tuesday, March 5, 2013

आ पहुँचीं हूँ ...तेरी कृपा से ....तेरे द्वारे 
ओ मेरे सबल सहारे .....
इस "आनंद" में ही रमना चाहे, ये तन और मन अब मेरा ....
इस "प्रीति" से ही सजना चाहे , ये तन और मन अब मेरा .....
इस "विश्वास " को ही आधार माने , ये तन और मन अब मेरा ......
लो आ गई  हूँ , अब बन के "कमल" मन का 
स्वीकार करो ...ये तन और मन अब मेरा .....
.........प्रार्थना .........

Monday, March 4, 2013

तुमरे नयनों से ही तो "प्रेम" का सही अर्थ झलकता है ,
जिनमें हम देख .....उन्हीं को पा जाते तेरे जैसे अर्थ में ......
हम तुम्हें यूँ ही तो नहीं पूजते - खोजते - रहते 
और यूँ ही नहीं हम तुझमें खो के अपने को पाते ......
.......प्रार्थना ............

Saturday, February 23, 2013

इसमें मेरी क्या खता 
जो अपने अक्स में तुझे समाया -पाया .....
मैं तो खुद को ही ढूँढ रही 
हर पल,..डगर ...नगर .....
मगर ...जैसे ही अपने को खोजना चाहा ....निहारना चाहा .....
पहचानना चाहा .....आखिर हूँ कौन मैं ...??
तुम स्वतः ही आ गए और....अब मेरी पहचान बन बैठे हो..... 
........प्रार्थना .............

Tuesday, February 19, 2013

चरण नहीं हैं, ये सिर्फ ....
आस्था के हैं ,ये प्रतीक ,
जो प्रकाश पुंज बन ,
जीवन जीने का ,करते है मार्ग प्रशस्थ .......
......प्रार्थना ...........
तेरे विस्तार के आगे 
ये तन और मन कहीं रम जाता है ......
एक ठहराव सा ...धीमी ..गति का ....
विचरण करता हुआ सा ....
ये जीवन हो जाया करता है .....
......प्रार्थना .........
तुझे निहार कर ही जाना 
कि ...तुझे "छलिया" 
नाम से क्यों पुकारा जाता है....
तू तृप्त कर ....घट बड़ा कर 
उसे फिर सदा ही अतृप्त कर  ....
"मिलन "....के लिए फिर रीता कर जाता है........
.........प्रार्थना ........

Sunday, February 17, 2013

चरण नहीं हैं, ये सिर्फ ....
आस्था के हैं ,ये प्रतीक ,
जो प्रकाश पुंज बन ,
जीवन जीने का ,करते है मार्ग प्रशस्थ .......
......प्रार्थना ...........

Monday, December 3, 2012

ओ मुझे श्याम ऐसा घर देना 
जहाँ शाम  -सवेरे हो तेरा आना ....
जो फूल खिलें मेरे अँगना  ,पायलिया बजाते आना ....
जो पवन बहे मेरे अँगना , तुम आँचल लहरा जाना.....
 जो चाँदनी  बरसे मेरे अँगना , राधे संग रास रचा जाना....
जो साँझ  ढले मेरे अँगना , मुरली बजाते तुम आना....
........प्रार्थना.....

Thursday, August 9, 2012

प्रेम-आसक्ति क्या है..?? 
मन को रमाना ,रमाये रखना और स्वयं को पाते ही जाना.....
प्रेम-भक्ति क्या है..??
"समर्पण "-भाव ही श्रेष्ठ भक्ति का स्वरूप है .......
प्रेम का स्वरूप कैसा हो..??
समझ और विश्वास का आधार ही उसका स्वरूप है.....
प्रेम-स्वाधीनता क्या है..??
जब चाहो उसे पुकारो ,पाओ और पाना ही सर्वोपरि स्वाधीनता है....
प्रेम-बंधन क्या है..??
जहाँ आप आज़ाद हों ...वो ही सबसे प्रिय-बंधन है.........
......प्रार्थना......

Sunday, July 22, 2012





Wednesday, January 19, 2011

अब मोहे श्याम दर्शन दीजो
      ना सुनी तो प्रेम ना कीजो ....
कहे ना सुने तू मेरी कन्हाई
      यूँ  तरसाने से ना होगी बड़ाई....
हठ करना तो मोहे भी आये
      ना मानूँ मैं लख तू मनाये......
बेरी जगत से आस ना कीजो
      तेरे सिवा अब नहीं कोई दूजो.....

Saturday, June 26, 2010

अब मैं क्यों  करूँ किसी से  अरज,बन चुकी हूँ मैं चरणों कि रज ....
यह तो है प्रेम की अजब भाषा ,इसे कब,कौन,कहाँ है समझा .....
यह तो है "कृष्ण प्रेम की मंजुषा,न चाहूँ इससे बाहर निकलना..... यह मेरे हृदय  की है मर्जी ,समझना चाहो तो तुम्हारी मर्जी ......
मैं पिघल कर बही  जा रही ,न बदलेगी मेरी यह धारा .....
ठोकर ,मोड़ बाधा न रही ,क्यों  कि मैं बनी प्रेम कि धरा ....  

Thursday, April 29, 2010

हर पल,तुझ से  मिलने का सुख
फिर बिछड़ने का दुःख  सताता है सदा  मुझे....

बिखरी पड़ी हूँ जैसे, पुष्प पर कुछ स्वच्छ ओस के कण
सुमन सहारा लेकर, चढ़ूँ कभी तेरे चरणों पर.....
तेरे बिना  मेरा अस्तित्व है ही क्या ?
अगर हम मिलें , ऐसे मिलें जैसे दूर अम्बर -धरा ......
जहाँ पाऊं   मैं पावन-स्नेह सुधा वर्षा
होगा तन मेरा निर्मल और मन में शाँत बसेरा.....
जब मैं, मैं थी  तब मैं ,क्या थी ?
जब से तुझे पाया , मैं -मैं न रही......

पाया है बहुत मन भरता नहीं
चक्षुओं से बह जाता,निश्चल स्नेह नीर तेरे लिए........
तुझ में समा के कुंड से क्षीर बनी 
इतनी विस्तृत हुई ,ब्रह्मांड मन में समा गया......
तेरा अस्तित्व ,हर पराग,हर कण में पाया 
इतना देखा कि,मैंने अपने अक्स में तुझे ही पाया......

Sunday, March 21, 2010

साँवरे पिया सुनाओ बाँसुरिया ,मै तो भई तेरी बावरिया....

दिन-रैन म्हारी अँखियाँ राह निहारें,कब आओगे श्याम साँवरे
बनूं मैं  कभी तेरी राधे-रानी,  तोहे ऐसे रंग में दूँगी  रंग रे
बंसी-बट पर जो तू राह निहारे,तब जानेगा मेरी प्रीत के सारे रंग
ना भागी आऊँगी तोरी बाँसुरी सुन,तब जानेगा सारे भेद विरह के
मेरा सांवरा है सलोना ,आ कर मेरे मन में बसो ना .....

मैया-मैया बोल- बोलत है ,मेरे हृदय में लहर-सी  उठत है
माथे पर लटा-घुँघर झूमत है ,जैसे बट-वृक्ष की लतायें  झूमत है
मुख पर माखन लपटत है,जैसे नीर गागर से झलकत है
मेरे आंगन में झुप-झुप डोलत है, जैसे मेरा आंचल लहरात है

Thursday, March 18, 2010

मुझे ,भी जी लेने दो थोडा सा......
इस नश्वर को प्रवृति ने हाँका अब तक ,
आज से निवृति को हाँकने दो
                                      मुझे .....
परिचय होने दो स्वयं से ,
पा लेने दो जरा ,मुझे भी अपने आप को 
                                   मुझे .....
उफन  न जाये कहीं ,मेरे हृदय कि व्येग -धारा ,
और शीतल न पड़ जाये मेरे मन का धरातल 
                                मुझे ......
मेरी सोच को विस्तृत होने दो ,व्योम कि तरह ,
निर्भय बन जरा सा उड़ लूँ पंछी कि तरह
                               मुझे.....

                         

Sunday, March 14, 2010

मेरे बाँके-बिहारी नन्दलाल,न करियो इतना श्रंगार
          नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरे माथे पे सोहे चन्दन लाल ,उपर से गल बैजन्ती माल.....
           नजर तोहे .....
तोरे गोरे -गुलाबी गाल,उपर से घूँघर वारे बाल.......
         नजर तोहे .....
तोरे कारे-कारे मतवारे नैना ,उपर से मीठी वारी मुस्कान......
        नजर तोहे...... 
तोरे प्यारे-प्यारे लागे बोल,उपर से ये मतवारी चाल ......
       नजर तोहे....
तोरा प्यारा लागे पीला -पटका ,मेरा तो मन वहीं है अटका ....
    नजर तोहे .....
मोहे प्यारी लागे मुरली धुन ,मैनें तो खो  दी है सुध-बुध .....
   नजर तोहे .....