तू तो है म्हारी कस्तूरी ,बसी थी जो म्हारे भीतर,
डोले-भटके बहार जग में ,कबऊ न झाँका अपने भीतर
जों झाँका अपने भीतर,विश्राम करत बैठे -मिले कान्हा बंसी बजावत....
डोले-भटके बहार जग में ,कबऊ न झाँका अपने भीतर
जों झाँका अपने भीतर,विश्राम करत बैठे -मिले कान्हा बंसी बजावत....
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