..हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........
Sunday, January 3, 2010
गुरु मैं आई शरण तिहरी,ऐसी कर दो कृपा जरा सी ...... न भटकूँ पल -पल छिन मैं ,ऐसी राह बता दो जरा सी ..... ह्रदय में हो मेरे शांति का बसेरा ,ऐसा कर दो मन पावन सा ..... नित ध्यान करूँ मै तुम्हरा ,ऐसा कर दो सवेरा जरा सा ..... आंसा कर दो धाम का रास्ता ,ऐसा कर दो इशारा जरा सा ....
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