..हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
Saturday, January 2, 2010
जग छोड़ा है तुम्हे है पाना .....
जग छोड़ा है तुम्हें है पाना ,कानाह तुम मुझे लेने आना .....
बालापन की प्रीति हमारी,कहाँ छुपे हो कृष्ण मुरारी
तुझ को ढूंढे नैना हमारे ,आ करअपना वादा निभाना .....
पल -पल तेरी रह निहारी ,आँखे पथरा गई हमारी ,
रहूँगी मैं सदा अंगना तिहारे ,बन कर दीप सा है मुझे जलना.....
इस जीवन की अभिलाषा हमारी ,तुझे निहारे अँखियाँ हमारी
रहूँगी मैं सदा साथ तिहारे ,आ कर मेरा हाथ थामना .......
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