..हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........
Friday, December 18, 2009
" आओ सखी "
आओ सखी गोपी बने संग ,चले राधे कुंज कानाह के संग मन में उमंग चाल में से ,क्यों न उड़ चलें बन के पतंग नाँचे बन मयूर यमुना तीरे ,कानाह प्रीति से मन की गागर भरें
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