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Friday, December 18, 2009

" आओ सखी "

आओ सखी गोपी बने संग , चले राधे कुंज कानाह के संग मन में उमंग चाल में से , क्यों उड़ चलें बन के पतंग नाँचे बन मयूर यमुना तीरे , कानाह प्रीति से मन की गागर भरें

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