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Sunday, December 27, 2009

बाज रही मुरली मोहन की ........

बाज रही मुरली मोहन की .....
या मुरली ने मेरो मन मोह लियो ,
सुध न रही तन की मोहन की ......

मोर मुकुट सिर,गल -बैजंती माल,
अधर पे मुरली मीठी मुस्कान ......

राधा के कान्हा ,मीरा के घनश्याम ,
दोनों की प्रीत से बंधे हैं भगवन ........

ग्वाल संग धेनु चराएं,गोपियन संग रास रचाएं ,
यशोदा पुकारे कहाँ हो श्याम ........

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