..हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........
Monday, March 4, 2013
तुमरे नयनों से ही तो "प्रेम" का सही अर्थ झलकता है ,
जिनमें हम देख .....उन्हीं को पा जाते तेरे जैसे अर्थ में ......
हम तुम्हें यूँ ही तो नहीं पूजते - खोजते - रहते
और यूँ ही नहीं हम तुझमें खो के अपने को पाते ......
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