krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Saturday, February 23, 2013

इसमें मेरी क्या खता 
जो अपने अक्स में तुझे समाया -पाया .....
मैं तो खुद को ही ढूँढ रही 
हर पल,..डगर ...नगर .....
मगर ...जैसे ही अपने को खोजना चाहा ....निहारना चाहा .....
पहचानना चाहा .....आखिर हूँ कौन मैं ...??
तुम स्वतः ही आ गए और....अब मेरी पहचान बन बैठे हो..... 
........प्रार्थना .............

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