हर पल,तुझ से मिलने का सुख
फिर बिछड़ने का दुःख सताता है सदा मुझे....
बिखरी पड़ी हूँ जैसे, पुष्प पर कुछ स्वच्छ ओस के कण
सुमन सहारा लेकर, चढ़ूँ कभी तेरे चरणों पर.....
तेरे बिना मेरा अस्तित्व है ही क्या ?
अगर हम मिलें , ऐसे मिलें जैसे दूर अम्बर -धरा ......
जहाँ पाऊं मैं पावन-स्नेह सुधा वर्षा
होगा तन मेरा निर्मल और मन में शाँत बसेरा.....
प्रेरणादायी पोस्ट है।
ReplyDeleteniceeeee
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
हर पल,तुझ से मिलने का सुख
ReplyDeleteफिर बिछड़ने का दुःख सताता है सदा मुझे....
bhut sundar
www.vikasgarg23.blogspot.com