मेरा सांवरा है सलोना ,आ कर मेरे मन में बसो ना .....
मैया-मैया बोल- बोलत है ,मेरे हृदय में लहर-सी उठत है
माथे पर लटा-घुँघर झूमत है ,जैसे बट-वृक्ष की लतायें झूमत है
मुख पर माखन लपटत है,जैसे नीर गागर से झलकत है
मेरे आंगन में झुप-झुप डोलत है, जैसे मेरा आंचल लहरात है
प्रार्थना जी बाल मन कान्हा का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है मुख पर माखन लपतट है जैसे नीर गागर से छलकत है -मनोहारी ...
ReplyDeleteसुन्दर कृपया लिखते रहिये ...
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५