krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Tuesday, January 5, 2010

मेरे हाथों में है ही क्या .....
जिसे खो जाने का डर मुझे सताता है
मेरे पास अपना कुछ भी नहीं हैं
अगर है कुछ तो सिर्फ सोच ,
जिस पर सिर्फ मेरा अधिकार है |
तो क्यों न ,व्योम में ऊडूँ, बगीचों में खिलूँ ,
समन्दर की गहराई में उतरूँ,ध्यान की अग्नि में जलूँ,
धरती की तरह अपनी सोच को सशक्त बनाऊँ
और मन से नाता जोड़ कर उसे सदा शाँत रखूँ........

No comments:

Post a Comment