krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Friday, January 1, 2010

तुम आओ न आओ कानाह ......

तुम आओ न आओ कानाह ,मैं तुम्हें यूहीं बुलाया करूँ .....
तुम सुनो न सुनो कानाह , मैं तुम्हें यूहीं पुकारा करूँ ......
तुम मिलो न मिलो कानाह ,मैं तुम्हें यूहीं पाना चाहूँ .....
तुम कहो न कहो कानाह ,मैं तुम्हें यूहीं सुना करूँ .....
तुम देखो न देखो कानाह ,मैं तुम्हें निहारा करूँ ....
तुम चाहो न चाहो कानाह ,मैं पूजा करूँ........

1 comment:

  1. Do you know all poems are nice! You have done wonderful work of Love!
    Jai Sri Krishana! Jai Guru!

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