krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Tuesday, February 19, 2013

तेरे विस्तार के आगे 
ये तन और मन कहीं रम जाता है ......
एक ठहराव सा ...धीमी ..गति का ....
विचरण करता हुआ सा ....
ये जीवन हो जाया करता है .....
......प्रार्थना .........

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