krishn prem mein bhige logoin ka swagat hai...........

Wednesday, January 19, 2011

अब मोहे श्याम दर्शन दीजो
      ना सुनी तो प्रेम ना कीजो ....
कहे ना सुने तू मेरी कन्हाई
      यूँ  तरसाने से ना होगी बड़ाई....
हठ करना तो मोहे भी आये
      ना मानूँ मैं लख तू मनाये......
बेरी जगत से आस ना कीजो
      तेरे सिवा अब नहीं कोई दूजो.....

10 comments:

  1. बहुत सुदंर, बधाई आपको।

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  2. प्रार्थना गुप्ता जी हार्दिक अभिवादन - सुन्दर भाव -प्यारी रचना, कान्हा को हठ से मनाती हुई प्रेम की सुन्दर छवि
    आइये इन दो लाईनों को यों लिखें

    काहे ना सुने तू मेरी कन्हाई

    बैरी जगत से आस ना कीजो
    बधाई हो सुन्दर रचना पर
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५
    समय मिले तो हमारे अन्य ब्लॉग पर भी पधारें कभी -लिंक हैं,

    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया , http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com,

    रस रंग भ्रमर का , http://surendrashukla-bhramar.blogspot.com,

    भ्रमर की माधुरी , http://surendrashuklabhramar.blogspot.com,

    भ्रमर का दर्द और दर्पण , http://surenrashuklabhramar.blogspot.com

    shukl bhramar5

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  3. "बेरी जगत से आस ना कीजो
    तेरे सिवा अब नहीं कोई दूजो....."

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  4. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें

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  5. kanha ke bina doosro na koi..........

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आप मेरे ब्लॉग पे भी आये
    आपका स्वागत है गुप्ता जी ...

    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन को हटा ले टिपण्णी करने में टिप्पणीकर्ता को आसानी होगी
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें

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  7. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

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  8. बहुत उम्दा लिखा है आप ने ,अच्छा लगा पढ़कर

    आप को होली की खूब सारी शुभकामनाएं

    नए ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित है

    नई पोस्ट

    स्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
    razrsoi.blogspot.com

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  9. प्रभावशाली प्रस्तुति |

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