अब मोहे श्याम दर्शन दीजो
ना सुनी तो प्रेम ना कीजो ....
कहे ना सुने तू मेरी कन्हाई
यूँ तरसाने से ना होगी बड़ाई....
हठ करना तो मोहे भी आये
ना मानूँ मैं लख तू मनाये......
बेरी जगत से आस ना कीजो
तेरे सिवा अब नहीं कोई दूजो.....
बहुत सुदंर, बधाई आपको।
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteराधे राधे
प्रार्थना गुप्ता जी हार्दिक अभिवादन - सुन्दर भाव -प्यारी रचना, कान्हा को हठ से मनाती हुई प्रेम की सुन्दर छवि
ReplyDeleteआइये इन दो लाईनों को यों लिखें
काहे ना सुने तू मेरी कन्हाई
बैरी जगत से आस ना कीजो
बधाई हो सुन्दर रचना पर
आभार आप का
शुक्ल भ्रमर ५
समय मिले तो हमारे अन्य ब्लॉग पर भी पधारें कभी -लिंक हैं,
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया , http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com,
रस रंग भ्रमर का , http://surendrashukla-bhramar.blogspot.com,
भ्रमर की माधुरी , http://surendrashuklabhramar.blogspot.com,
भ्रमर का दर्द और दर्पण , http://surenrashuklabhramar.blogspot.com
shukl bhramar5
"बेरी जगत से आस ना कीजो
ReplyDeleteतेरे सिवा अब नहीं कोई दूजो....."
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
kanha ke bina doosro na koi..........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति आप मेरे ब्लॉग पे भी आये
ReplyDeleteआपका स्वागत है गुप्ता जी ...
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन को हटा ले टिपण्णी करने में टिप्पणीकर्ता को आसानी होगी
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत उम्दा लिखा है आप ने ,अच्छा लगा पढ़कर
ReplyDeleteआप को होली की खूब सारी शुभकामनाएं
नए ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित है
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प्रभावशाली प्रस्तुति |
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