तेरे संग ने मुझमें,
जीने कि अलख जगाई......
इन आनंदाश्रुओं को ,
मैं न कभी रोक पाई......
सोचती हूँ जाने दो धुल,
ह्रदय का अंतनिर्हित मेल.....
होगा निर्मल मन का धरातल,
और बीतेगा तेरी कृपा से हर पल .......
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